Pravasi Mithila

22.1.14

कागजी विकाश

सरकार जनता-जनार्दनक नाम पर
बजबैत रहैत अछि सदिखन गाल
हमरा राज मे गरीबक उत्थान लेल
भेल अछि सबसे बेसी काज
आई धरि नहि केने छल ,
एतेक काज पिछला सरकार
सबके रोटी-कपड़ा संग
रहवाक लेल इंदिरा आवाश
खुशहालक जिनगी-बसर
करैत अछि सबगोट समाज
गामक कात जे दलित टोल अछि
बसैत अछि ओहि मे ५० टा परिवार 
गोट-पगरा छोरि के सब कियो
अछि अखनो ओहिना खस्ताहाल
तीन पुस्त सँ देखैत छियै गरीबा के
नहि भेलैक अखन अपन डीह पर बास
कतबो गंजन करैत छै गिरहत
तैयो छै हरबाहिये के आश
कतय करैत छै सर्वे ई सब
के करैत छैक डाटा तैयार 
अपन अकरमनता छिपेवाक लेल
देखबैत छैक कागजी विकास 

रचनाकार : दयाकान्त

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