Pravasi Mithila

9.11.13

फुलक आँखि सँ झहरल नोर

संभार - गुगल 
गाछ मे लागल फुल सदिखन
करैत रहैत छल सतत बिचार
कोनो जन्मक पुण्यक फल सँ
भेल हमरा फुल मे अवतार
कोनो ने कोनो देवी देवता के
होयत हमरे सँ श्रृंगार
चाहे कोनो प्रेमी युगल
देत हमरे प्रेमक उपहार
देशक कोनो अमर शहीद के
करत कियो पुष्पक अर्पण
वा कियो अपन पितर के
करताs हमरे सँ तर्पण
सहि लेब हम सुईयाक दर्द
बनि जायब जs माला
तैयो कोनो पुण्य काज मे
देवक सिर हो या जयमाला

आई फुल माला बनि के
डर सँ अछि बड़ सशंकित
कहि ओहि नेताक गरदनि चढ़ि ?
जे देश के केने अछि कलंकित
देखिते नेताक गाडी सबकियो
करय लागल जय जयकार
खुलल गेट नेता बहार भेल
पहिरा देलक फुलक हार
कतेक अपहरण कतेक डकैती
कतेक केने अछि हत्या बलत्कार
नहि मोन छैक स्वयं नेता के
केने अछि कोन-कोन फसाद
गरदनि मे जाइतै फुलक
बिचकय लगलै ठोर
फाटि गेलैक छाती ओकर
आँखि सँ झहरय लगलै नोर


रचनाकार : दयाकान्त 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें