Pravasi Mithila

3.2.14

टुटी गेल छsहर

सन सत्तासी के बाद सब बेर
टुटै छै किया छsहर ?
कि हमर बाध निच भs  गेल
ऊच भs  गेल धार  आ नहर
आबैत रहैत छल मोन मे
हमरा सदिखन ई सवाल
नहि भेटल आई धरि एकर
कोनो हमरा सटीक जबाब
छsहर पर जे बसल अछि जोगिया
ओकरे से हम पुछि देलियै
सुनिते ओकर जबाब सरिपहुँ
कान दुनु हम मुनि लेलियै
कहलक मालिक अधोतिया कs
सुतल रहि मचान पर
सपत खा के कहै छी मालिक
सुनलहुँ जे हम कान सँ
वाटरबेग के इंजीनियर आ
राक्षसा शेर सिंह ढिकेदार
संग में छलैक रुदला पहलवान
सब मिल एतहि केलक नियार
जो गढ़िया लग छsहर काटी दहिन
देबौ तोरा पचास हजाड़
कनिये काल बाद भरि गाम मे
उठय लगलै हाहाकार
रचनाकार : दयाकान्त

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