चल रौ मिता थान तsर
चढव आई आम पर
पाकल आम कौआ खोदैआ
लुक्खी बैसल आम पर
कनिये मिता हाथ लगा दे
मोट्गर छै बड गाछ
नहि आबैया पाँज में मिता
भरीगर अछि बड काज
नै अछि डारी झुकल कतहु
नै सिरही अपना पास
बिना आम तोरने नहि जायब
घुरि के अपन गाम पर
चल रौ मिता थान तsर
चढव आई आम पर
टी० वी० में देखने रहिन
मटका कोना फ़ोरै छै
मेघ में लटकल तौला लेल
एक-दोसराक कान्ह चरहै छै
भs जो गाछ पकैर के,
तsहु सब ओहिना ठार
एगो लात कान्ह पर राखिके
चढि गेलौ हम आम पर
चल रौ मिता थान तsर
चढव आई आम पर
रचनाकार :- दयाकान्त
चढव आई आम पर
पाकल आम कौआ खोदैआ
लुक्खी बैसल आम पर
कनिये मिता हाथ लगा दे
मोट्गर छै बड गाछ
नहि आबैया पाँज में मिता
भरीगर अछि बड काज
नै अछि डारी झुकल कतहु
नै सिरही अपना पास
बिना आम तोरने नहि जायब
घुरि के अपन गाम पर
चल रौ मिता थान तsर
चढव आई आम पर
टी० वी० में देखने रहिन
मटका कोना फ़ोरै छै
मेघ में लटकल तौला लेल
एक-दोसराक कान्ह चरहै छै
भs जो गाछ पकैर के,
तsहु सब ओहिना ठार
एगो लात कान्ह पर राखिके
चढि गेलौ हम आम पर
चल रौ मिता थान तsर
चढव आई आम पर
रचनाकार :- दयाकान्त
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