Pravasi Mithila

4.6.13

आम (बाल कविता)




















जेबै गरमी छुट्टी में गाम
खेबै पाकल-पाकल आम
बम्बई किशुन भोग जर्दालु
कलकतिया आ सपेता आम
अपने सँ हम गाछ पर चढ़बै
डारी के खूब हिलेबै
पाकल-पाकल आम सबटा
झोरा में भरि-भरि अनबै
नहि खेबै हम गोराल आम
अहि बेर खेबै गछपक्कु आम
भोरे उठि के नहा-सोना के
जलखै, पनपिआय लs लेबै
बाबा के हम संग में लs के
कलम दिश चलि जेबै
ओतहि खेबै ओतहि खलेबै
नीन लागत ते सुतबै मचान
टुटी जेतै हमर नीन
जखने गाछ सँ खसतै आम
मैडम इस्कूल में कहने छली
सब फलक छै राजा आम
     
रचनाकार :- दयाकान्त

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