Pravasi Mithila

2.6.13

पुस


बड़ विकट मास ई पुस
लागि रहल अछि सुर्य महराज
हेरा गेला आब मेघ में
नहि देखैत छी रौद कहिओ
साँझ, दुपहरिया भोर में
दुबकल अछि चिडै-चुनमुनी
अपन-अपन खोप में
गबदी मारि सुतल कुकुर
बिच पुआरक दोग में
शीत-लहरी संग, सिह्की-सिहकी के
बहैत अछि पुरवा बसात
लागि रहल अछि हाथ पैर में
धेलक रोग लकवा वा वात
बाबा मैया सबहक मुँह सँ
निकलैत छैक एकेटा बात
नहि देखने रहि एतेक उमेर में
एहेन विकट पुसक जार
नहि छैक कोनो घुरक ओरियान
ठार केने सब चौकी दलान
हाथ पैर में फाटल बेमाअ
मैदान दिश जायब भेल प्रलाअ
पोखरिक पैन अछि बड कन-कन
साँझक आरती भs गेल बन्न
कतेक बुढ गेलाह अहिबेर गाछी
बैतरनी लेल नहि भेटैया बाछी
मरल बुढ़ियाक के देत उक
कखन एतैक दुलरुआ पुत 
बड़ विकट मास ई पुस

रचनाकार:- दयाकान्त

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