Pravasi Mithila

2.9.17

मुँहपुरुख

टोल मे आई अनघोल केने छै 
बिना बात बतंगड़ बनेने छै
टोल-परोसक लोक जुटल छै
सब के सब ठार बौक भेल छै
असगरे आसमर्द मचेने छै
मुँहपुरुख आई खुब बनल छै 
बेमतलब अनघोल केने छै
लाउडस्पीकर के फेल केने छै 
फॉड़ बान्हि असगरे कुदै छै 
टोकला पर और जोर मारै छै 
कखनो पुरब कखनो पछिम 
कखनो उतर कखनो दक्षिण 
खुटेसल माल जकाँ घुमै छै 
मुद्दे के ई मैट दैत छै 
कखनो धोती कखनो कुरता 
कखनो गंजी कखनो गमछा 
लोकके देखिके खोलि फेकै छै 
एके टाँग पर खुब नचै छै
जेठ छोट लाजे नहि छै 
सबहक संग एके बोल बजै छै 
सज्जन लोक सब दुर भगै छै 
दुरजन सबटा दोस्त बनल छै 
माय बोहिन किछु नहि बुझै छै 
ठोरे पर एकरा गारि रहै छै 
दबल कुचल के डपैट दैत छै 
भरिगर देखिते मुरी झुकबै छै 
करनी हिनकर झरकल सनके 
लोक एकरा मुँहपुरुख कहै छै  l

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