Pravasi Mithila

10.8.14

हमरा बन्हि दे राखी (बाल कविता)


दीदी हमरा बन्हि दे तु
एकटा निकहा राखी
देखहिन राखी बन्हि घुमैया
हमर संगी सब साथी
माथा पर ठोप लगा दे
दे हमरा निकहा मधुर
आब नहि कहियो झगरा करबौ
नहि रहब तोरा सँ दुर
ताग सँ बनल तोहर ई राखी
हमरा करत कवच के काज
नैहर छोड़ि जेमा जखन सासुर
हमरा आयत तोहर बड़ याद
सपत खा के कहै छियौ दीदी
नहि बिसरब हम राखीक लाज
पाछु नहि करबौ कखनो टांग
परतौ तोरा हमर जखन काज
नहि कखनो तोरा क्लेश हो
सदिखन मुँह पर हो मुस्कान
तोरा रक्षाक खातिर हम
लगा देबै अपन हम जान 

रचनाकार : दयाकान्त

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