Pravasi Mithila

31.5.13

मीडिया












 लोकतंत्र के चारिम खाम
लचार, अनाथ, गरीबक बोल
टुकुर-टुकुर ताकि रहल अछि अहाँक दिश
जकरा नहि छैक ओरियान
अपन बात रखबाक लेल
अपन अधिकार मंगबाक लेल
सरकार के अपन दुःख तकलीफ
सुनेबाक लेल कोनो साधन
सब बेर ठकहरबा आबि के ठैक लैत छैक
रंग-बिरंगक अश्वाशान दs के
देखैत छियैक एकर बच्चाक हाल
पेट में अन्न नहि छैक
फाटल-चिटल अंगा पर झलकैत हाड
गवाही छैक कुपोषणक
भोर सँ साँझ धरि
करैत रहैत छैक बकरी सँ बात
देखैत छियैक एकर शारीर पर
काँच करचीक दाग
काल्हि गिरहत फोरि देने रहैक
सगर देह, माल-जाल जकाँ
कुहरैत रहलै भरि दिन,
दु दिन पहिने एकरे बेटी कs
घेर लेने रहैक कुशियार में
मालिकक बेटा सब
नहि भेलैक रिपोर्ट दर्ज थाना में
उलटे दरोगा दपैट देलकै
कहिया धरि करब जयगान
अहि ठकहरबा सबहक
लोकतंत्र के चारिम खाम
लचार, अनाथ, गरीबक बोल

रचनाकार:- दयाकान्त
 

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