Pravasi Mithila

24.5.13

अन्हरजाली

नहि होइछै कनियो एकरा लाज
दहेज़ मांगै छै सात लाख
सुदि संग दरसुदि जोड़ी कs
नहि बनैत छैक एतेक हिसाब
बेटा छैक एकर १२वीं पास
पुतहु भेटैत छैक बी ए पास
नहि छैक कनियो एकर विचार
छैक सिर्फ टाका सँ सरोकार
बुढ बाप के नहि कोनो जुइत
माय के नहि छैक लाजक छुइत
घटक काका जे बैसल छैथ दलान
बजला हमरा अखनो अछि धिआन
कोना केने रहि अहाँक विआहक ओरियान
अहि बातक कनि राखु मान
नहि छल अहाँ बाप के टाका आ सोन
नहि छल कोठी में चाउर दु-चारि मोन
सब दिस सँ जखन थाकि गेला
तकरा बाद हमरा कहलाह
कि हमर बेटी रह्तै कुमारि ?
लगनक बाँचल दिन दु-चारि
नहि जीवय देत कुटुम्ब-समाज
घर सँ निकलवा में होइया लाज
घटक भाई हम जोड़इ छी हाथ
हमरो बेटीक लेल कनि करियौ बात
हाथ धs अनलहु दोसरैत बsड़
विआहक भार लेलहु अपना माथ पर
लागल अछि अहाँके आँखि पर अन्हरजाली
कनियाँ नहि देखैत छियैक टाका खाली 

रचनाकार:- दयाकान्त   

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