Pravasi Mithila

27.4.13

आई

आई मानव किया मानव भ s क s
दानवक काज करै छै
आई मानव किया प्रेम सँ नहि
घृणा सँ स्नेह करै छै |
आई मानव किया दुश्मन भ s क s
दोस्तक रूप धेने छै
आई किया झूठक डर सँ
सत्य नुकायल फिरै छै
आई किया अपन माय-बाप सँ
बेटा दूर भागै छै
देशद्रोही अंग्रेजक संरक्षक
आई किया शासक बनल छै
जे भारत छल ज्ञानक नगरी
आई किया दूर भागल छै
गाँधी सुभाष चाचा नेहरु के
आई किया लोक विसरल छै
सीता अहिल्या सावित्रीक धरती पर
आई किया नारी जरै छै
दानी कर्णक अहि कर्मभूमि पर
दहेज़ में बेटा बेचै छै
आई किया जाति-पाति में
अपना के सब बाटें छै
आई धरती के नरक बना क s
चन्द्रा में जेवाक सोचै छै
हवा पानि में जहर मिला के
ग्लोवल वार्मिंग कहै छै |

रचनाकार:- दयाकान्त 

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