Pravasi Mithila

15.3.11

माय नहि ले हमर जान


तोरे गर्भ में पलि रहल छी
तोरे खुन सं अछि संज्ञान
हरदम अपन पेट निहारी के
किया करै छs पुतक ध्यान
बेटा नहि बेटीए सही
छी तोरे संतान
माय नहि ले हमर जान

किया लैत छs विद्युत परीक्षा
कानून कs नहि छs कोनो ज्ञान
ककरो कनियो भनक लग्तेई तs
नहि बचतौ कुलक मर्यादा-मान
कोना चालत श्रृष्टि बेटी बिन
यदि चाहत सब बेटे संतान
माय नहि ले हमर जान

युग-युग सँ हमरे पर हरदम
होएत अछि सब्त परिणाम
सीता, द्रोपदी, अहिल्या व मीरा
भेलीय सब युग में बदनाम
आब तs धरती पर एबा सँ पहिने
लैत अछि गर्भे में प्राण
माय नहि ले हमर जान

बिसरी गेलाs तू राजा जनक कs
हुनकर यश कीर्ति आर नाम
देह राखी विदेह कहबाथि
हुनका मात्र बेटीये संतान
जगत जननी सीता कs सदिखन
लैत अछि, राम से पहिने नाम
माय नहि ले हमर जान |


रचनाकार:- दयाकान्त

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