Pravasi Mithila

17.2.10

ई छी मैथिल के पहचान

भरि दिन चुन-तम्बाकू खेsता 
चिबबैत रहताs गुटका, पान  
जम्हरे देखु थुकैत रहताs
मार्केट, ऑफिस हो वा मकान
ई छी मैथिल के पहचान

बात-बात पर झगरैत रहताs
नहि बजवाक कोनो ठेकान  
एकबेर दोसर डपिट दैन तs  
लगताह भिजल बिलारी समान
ई छी मैथिल के पहचान

गाम छोरि परदेश बसै छैथ
तखनो नहि दोसर सs मिलान
 
भरि दिन दोसरक निंदा करताs  
टांग घिचाई मे सत्तत प्रधान
ई छी मैथिल के पहचान

मैथिलि बजवा मे परहेज करताs
नहि छैन दोसर भाषा के ग्यान
 
कह्बैंन ई शब्द एना बाजु तs  
कहताs हम छी कोनो अकान
ई छी मैथिल के पहचान

अप्पन मेहनत लगन के बल सs
कs लैत छैत कंपनी मे नाम 

परमोसन कs बेर मे सदिखन
नहि रहैत छैन बाँस सs मिलान  
ई छी मैथिल के पहचान
सरकारी हो व गैरसरकारी
भेटत मैथिल उच्च स्थान
कोनो कजाक आस राखब तs
 
नहि होयत पुरा कुनु ठाम
ई छी मैथिल के पहचान

सफल प्रत्यासी के लिस्ट मे
सब सs आगु मिथिलाधाम 

हिनक लगन, प्रतिभाक आगु  
दैत अछि सब दंडप्रणाम
ई छी मैथिल के पहचान

नहि मैथिल ककरो सs पाछु  
पाछु अछि मिथिलाक गाम  
रहलै हमर भुगोल मे सदिखन 
 जिबछ, कोशी, कमला बालन
ई छी मैथिल के पहचान

हमर मैथिलि भाषा सन मिठगर
नहि अछि कोनो दोसर ठाम
आपस मे सब मैथिलि बाजु
चाहे लोक मुनैया कान
ई छी मैथिल के पहचान


 रचनाकार:- दयाकान्त  

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