Pravasi Mithila

24.12.20

भिखमंगा (लघु कथा)

आई पढुआ काका के आंगन मे छप्पन भोगक तैयारी भऽ रहल अछि सब कियो ब्यस्त अछि | आई हुनकर बेटा के तिलक छियैन 21 आदमी सं खान-पीन मे आबि रहल छथिन | पढुआ काका बेटा के जखने बैंक पीओ मे भेलैन की कन्यागत के लाइन लागि गेल प्राईवेट नौकरी वाला के तऽ आब कतेक खुशामद केला पर विवाह होयत छैक मुदा सरकारी नौकरी वाला के मनमाफिक दहेज आ कन्या भेटैत छैक |

|सबकियो काजक मे ब्यस्त छल कि अंगनाक कोंटा पर भिखमंग हाक दबय लगल मलकैन भिख दऽ दिया.. भिख दऽ दिया पढुआ काकी अॉखि लाल पिअर करैत भिखमंगा के डांटय लगली तोरा एको रति लाज नहि होयत छौक शुभ घड़ी मे आन्हर भऽ के भिख मांगै लेल आबि गेलाऽ लाज नहि होयत छौ काजक अंगना मे तखन सं अनघोल केने छाऽ|

मलकैन हमरा तऽ ऑखि नहि अछि तैयो लाज हौया तहि द्वारे अप्पन जिला जयवाड़ छोड़ी के भिख मांगैत छी, अप्पन पेटक खातिर, मुदा अहां के कुटुम्ब समाजक सामने बेटा बेचैत लाज नहि भेल |


दयाकान्त |

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