Pravasi Mithila

12.5.13

हे माँ मिथिले

 हे माँ मिथिले
तू कियाक करैत छाँ / हमरा अपना सँ दूर
तोरा नहीं बुझल छौ
तोरा  बिना हम / एक पल नहि रहि सकैत छी
तोरा  बिन हमर शरीर / शरीर नहि रोबोट बनि  जायत अछि 
प्राणहीन  भय जायत अछि 
तोरा बिना हम छटपटैत रहैत छी
जेना पैन लेल माछ
तू कियाक करैत छाँ अपना सँ दुर
तोरा लेल हम नवजात शिशु छी
ओकरा लेल जेना स्तनपान
कुबेरक भंडार छैक
ओकरा लेल जेना  कोरा
समस्त संसार छैक
तहिना हमरो लेल ई माटि
चन्दन सँ बेसी सुगन्धित
आ स्वर्ग सँ सुन्दर अछि
हमरा नहि चाही मोटर कार
नहि चाही मारवल वाला मकान
जतय लगैत रहैत छैक
भारि दिन पोछा
बिछायल रहैत छैक
ऊपर सँ कालीन
तैयो रहैत छैक खतरा
इन्फेक्सन कs
हम छटपटैत रहैत छी
तोहर कोरा लेल
तोहर चरणक माटि के
स्पर्श करवाक लेल
सत्य कहैत छियो म़ाए
हमरा मोन परैत रहैत अछि
गाय गोबर सँ नीपल अंगना
आ चिकनी माटि सँ छछारल
घरक चिनवार
आ माटिक भीतक दीवार
जहि पर छापल रहैत छैक
रंग-बिरंगक चित्र |

रचनाकार:- दयाकान्त

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