Pravasi Mithila

7.2.14

गाछ

किया तोरै छी डारि हमर
किया नोचै छी हरिअर पात
किया करै छी तंग हमरा
हमरा सँ होयत बड़ काज
रौद मे जरि के जखन अबै छी
अहाँ सबकियो हमरा पास
शीतलताक वर्षा करैत अछि
हमरे गाछक डारि आ पात
हमही मेघ सँ पैन बजा के
करबैत छी रिमझिम वर्षा
आँधी आ तुफान सँ अहाँ के
करैत रहैत छी सदिखन रक्षा
रंग -बिरंगक मिठगर फल
हमरे सँ अहाँके होइया प्राप्त
रंग -बिरंगक तरकारी के
लैत छी अहाँ सब स्वाद
हमर हरियर गाछ पात सँ
करब अहाँ जs पिरित
ख़ुशी -ख़ुशी दिन बितत
बनल रहत दुनु में मीत

रचनाकार - दयाकान्त

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