कतेक दिनका बाद
कतेक कबुला-पाती केला पर
पाथर पर जनमलैक दुईब
भरोस नहि छलैक बुढिया के
एतैक अहि घरक वारिस
ओ वारिस आयल छैक गाम
गरमी छुट्टी में अप्पन गाम
आई बुढिया के खुशीक ठेकान नै
कखनो कोरा तs कखनो कनहा पर
नहि राखय दैत छैक पैर जमीन पर
नहि छुटलैक कोनो देवता
परोपट्टा भरि में,
जेहेन देवता तेहेन कबुला
किनको छागर, तs किनको आँचर
कतहु मधुर तs कतहु मुडन
खर्चा भs गेलैक सबटा टाका
ख़तम भs गेलैक कोठीक चाउर
आ भs गेलैक माथ पर कर्ज
ओकरा बुझल छैक
नहि देतैक बेटा पुतहु
गाम सँ दिल्ली जेवाक काल
टाका वा कोनो बोल-भरोस
फेर बुढ़िया के पेट काटि के
सधवय परतैक महाजनक ऋण
सुनय परतैक ओकर अंगरोठल बोल
वारिस गेला पर बंद भs जेतैक ख़ुशी,
बंद भs सोहर, समदौन
बंद भs जेतैक गीत-नाद
रहतैक सिर्फ बुढियाक आँखि में नोर
आ वारिसक अधबोलिया बोल |
रचनाकार:- दयाकान्त
कतेक कबुला-पाती केला पर
पाथर पर जनमलैक दुईब
भरोस नहि छलैक बुढिया के
एतैक अहि घरक वारिस
ओ वारिस आयल छैक गाम
गरमी छुट्टी में अप्पन गाम
आई बुढिया के खुशीक ठेकान नै
कखनो कोरा तs कखनो कनहा पर
नहि राखय दैत छैक पैर जमीन पर
नहि छुटलैक कोनो देवता
परोपट्टा भरि में,
जेहेन देवता तेहेन कबुला
किनको छागर, तs किनको आँचर
कतहु मधुर तs कतहु मुडन
खर्चा भs गेलैक सबटा टाका
ख़तम भs गेलैक कोठीक चाउर
आ भs गेलैक माथ पर कर्ज
ओकरा बुझल छैक
नहि देतैक बेटा पुतहु
गाम सँ दिल्ली जेवाक काल
टाका वा कोनो बोल-भरोस
फेर बुढ़िया के पेट काटि के
सधवय परतैक महाजनक ऋण
सुनय परतैक ओकर अंगरोठल बोल
वारिस गेला पर बंद भs जेतैक ख़ुशी,
बंद भs सोहर, समदौन
बंद भs जेतैक गीत-नाद
रहतैक सिर्फ बुढियाक आँखि में नोर
आ वारिसक अधबोलिया बोल |
रचनाकार:- दयाकान्त
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