Pravasi Mithila

16.1.10

बतहिया पुछै छै सवाल

सगर नगर अछि मुह लटकौने
शर्म सॅ सबकिया माथ झुकौने
कोन दोश हमर अछि अहिमे
पति के म़त्यु भेल अकाल
बतहिया पुछै छै सवाल
चैदह बितल चढिते पंद्रह
भ गेल हमर विवाह
सोलह बरख के मुँह नहि देखलहु
भ गेल जीवन बदहाल
बतहिया पुछै छै सवाल
नाम अलच्छी सासु पुकारैथ
ससुर सदिखन कुलबोरनी
ननौद, दिअर मुँह देख भागैथ
बितत कोना जीवन बेतरनी
बतहिया पुछै छै सवाल
सगर समाज मे चर्चा एकेटा
अबिते खेलकै “सुशील” बेटा
हमरा देखि रस्ता सब काटय
भ जाय किया यात्रा खराब
बतहिया पुछै छै सवाल
माय बाप नहि घुरी के ताकय
भौया-भौजी मुँह नुकावय
नोर सुखायल नींद हरायल
एक-एक पल भेल पहाड
बतहिया पुछै छै सवाल
सास-ससुर सेट छिरकैया
ननद-दिअर परफ्रयुम लगबैया
कुकुरो साबुन रोज लगबैया
हमरा बेर में हैया बबाल
बतहिया पुछै छै सवाल
कनियॉ मरत बरत नहि दोश
वर मुर्हला पर कनियेक दोश
बर चाहे कतेको विवाह करताह
किया नहि होयत विधवा विवाह
बतहिया पुछै छै सवाल

रचनाकार:- दयाकान्त 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें